16.1.11

2 उसको छू लेने का एहसास

बहुत दिनो बात वह मेरे पास बैठी थी. और अचानक ही उसको छू लेने से मेरे मन मे तरह तरह तरह की भावनाओं ने हिलकोरेँ लेने लगा. कुछ ही साल की बात है जब वह से मेरे जीवन मे आयी थी. लेकिन लगता है अब सदियाँ बीत चुकी हो. मैने कभी नही सोचा था कि उसका मेरे जीवन मे इतना महत्व हो जाएगा. हलाँकि उसके उपर उम्र अब हावी होने लगा था. उसकी सुन्दरता समयान्तराल मे कम हो गयी थी, लेकिन अभी भी वह इतना सुन्दर तो थी ही जो मेरे कल्पना के उड़ान को ऊँचाई की बुलन्दी दे पाए.

अपने कई दोस्तोँ से अक्सर यही कहते हुए सुना हूँ. बीवी की सुन्दरता ६ महीने मे महत्वहीन हो जाता है. सुन्दरता होती ही है दूसरोँ को दिखाने के लिए. अपने लिए उसका स्वभाव ही महत्वपूर्ण होता है. मेरे बाँकी परिवार के लिए उसका कोई और महत्व हो लेकिन मेरे लिए हकीकत यही है कि मैं उसके बिना कुछ नही हूँ. परिवार के बाँकी लोग मुझे कहते रह गए कि किसी को हद से ज्यादा अपने जीवन मे हावी नही होने देना चाहिए. लेकिन मेरे जीवन मे हो रहे घटनाक्रम ने मुझे कभी सँभलने का मौका ही नही दिया कि मै सोच पाऊँ कि उसको कितना तवज्जो दिया जाए. बस मै फँसता ही गया. फँसना नही कहना चाहिए इससे उसका अपमान होता है, बल्कि मै इतना इन्वोल्व होते गया कि वह मेरी सँगिनि बन गई. उसने मेरे पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को आशा से ज्यादा सँवारा है. पाँच साल यदि कोई कुत्ते-बिल्ली के साथ रहे तो उससे भी प्रेम हो जाएगा और इसके अन्दर तो सद्यः दिल और दिमाग है. मुझसे कदम से कदम मिलाकर अनवरत चलती जा रही है वह.

वह मेरे साथ सोफा पर पड़ी रही. मैने भी उसको काफी देर तक निहारता रहा. उसके शरीर पर उम्र के तकाजे का स्क्रैच और दैनिक काम काज से होने वाला विजिबल स्पोट मेरा ध्यान भँग करने मे सफल नही हुआ. एक समय था जब अपने युवावस्था मे वह इतनी चिकनी थी कि नजर उसके उपर से अपने आप फिसल जाया करती थी. मैने उसे अपने गोदी मे उठाया और सामने रखा हुआ टेबल पर ले जाकर बिल्कूल पटक सा दिया. पहले कितना कम वजन हुआ करता था उसका. लेकिन डायटिँग के इस दौर मे अब वह अपने कम्पीटीटर से हमेशा भारी ही लगती है. रखते हुए उसके अन्दर से न चाहते हुए भी कुछ “आउच” या इससे मिलता जुलता शब्द निकला. उसके उस आवाज को शब्दो मे नही लिखा जा सकता है. बाँकी लोग उस आबाज को समझ भी नही सकते हैं. उसकी उस आवाज ने मुझे डरा सा दिया. उसकी तबियत खराब हो गई तो मेरा रुटिन बदल जाएगा और लेने के देने पड़ जाएँगे. मै समझ गया था उसको इस प्रक्रिया मे चोट सी लगी है.
माहौल बदलने के लिए मैने उसे अपने शरारती निगाहोँ से देखा. वह मुस्कुरा रही थी. वह भी ना! उसके इसी मुस्कान के लिए मै उसके उपर मरता हूँ. न चाहते हुए भी घर के बाँकी सदस्योँ के सामने ही मैने उसे चुम लिया. वह मुस्कुराती रही. मैने उसके उपर अपना उँगली फेरता रहा. उसकी भावनाएँ मेरी अँगुलियोँ पर नाचती रही. और उसका स्पर्श! क्या सुखदायी था? हमेशा से मै इस बात का इन्तजार करता रहा कि कभी तो होगा जब उसको मेरी ऊँगलियोँ का स्पर्श रास नही आएगा. लेकिन ऐसा कभी नही हुआ. वह अभी तक नही बदली. वह अपने काम मे अभी भी उतना ही दक्ष है और उसका मेरे जीवन मे योगदान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.
मैने अपना हाथ अब पीछे कर लिए था. वह स्तब्ध थी. मैने उसके आँखो मे झाँक कर देखा... निष्क्रिय हो कर वह अपने उदासी भरे मुस्कान से मेरे दिल पर सीधे वार करती रही. मन तो मेरा भी कर रहा था कि एक बार उसे और छू लूँ. लेकिन मैने अपना हाथ बाँधे रखा. उसके चेहरे पर उदासी गहराती गयी. मैने अनुभव किया कि कुछ ही दिनो मे उसका साथ छुट जाएगा. मेरे आँखों का कोना फिर भीगने पर उतारु था. पीछे से मेरी इकलौती बीवी ने आवाज दिया, लैप-टोप ही तो है, एक गयी तो क्या हुआ दूसरी आ जाएगी. मैँ पीछे पलटा और अपनी ही बीवी को अचरज भरी निगाहोँ से देखा. मैने देखा कि किसी तीसरे को एक आदर्श प्रेम हमेशा ही नाटक लगता है. मेरा लैपटोप, मेरा और मेरी बीवी के साथ हुए एकतरफा सँवाद को भाँप लिया था और नाराज होकर हाइवरनेट मे अन्तरधान हो गई. मैने अपने गर्म और पसीने से भीँगे हुए ऊँगलियोँ से उसको फिर से स्पर्श करने लगा.

2 comments:

  1. बहुत अच्छा लिखते हैं आप। इस आलेख में कुछ ऐसा था जो बहुत देर तक मन को मथता रहा।

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